माता पिता शिशु के प्रथम गुरु है उसके संस्कार आचार एवं व्यवहार के प्रथम शिल्पी वही है शिक्षक ले प्रयत्नो में सामन्जस्य अनिवार्य है इस सामन्जस्य के बिना शिक्षक के एकान्गी प्रयत्न शिशु के मानसिक एवं बौद्धिक विकास में प्रभावशाली नहीं हो पाते ।
अतएव आप से अनुरोध है कि आप इस को गृह परिवेश मे भी संस्थापित कर हमारा सहयोग करें ।
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छात्रा दैनिन्दनी प्रतिदिन अवश्य देखें ।
अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र भेजे ।
विद्यालय में आने पर बालिका से मिलने कक्षा में ना जाकर प्रधानाचार्य से मिलें ।
बालिका को प्रतिदिन निर्धारित वेश में नर्धारित समय पर ही भेंजे बालिका का मासिक
शुल्क प्रत्येक मास कि 15 तारीख तक अनिवार्य रूप से जमा कर दें । 20 तारीख के पश्चात
5 रुपए विलम्ब शुल्क देय होगा ।
छात्रा /दैनिन्दनी में प्रतिदिन विषयवार गृहकार्य अंकित होता है। कृपया दैनिन्दनी का अवलोकन करके गृह कार्य पूर्ण करने कि व्यवस्था करें ।
बालिका में अपेक्षित प्रगति न देखकर विद्यालय कि प्रधानाचार्या जी से संपर्क करें ।
- प्रधानाचार्य